क्यों आपको ट्विटर नहीं कू ऐप (Koo App)पर होना चाहिए !

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Why Koo App is getting popular in India!

क्यों आपको ट्विटर नहीं कू ऐप (Koo App)पर होना चाहिए!

Why Koo App is getting popular in India!

अगर ऐसा कोई एक प्लेटफ़ॉर्म है जिसे फेसबुक और इंस्टाग्राम से दूर रहने वाले लोग प्रयोग करना पसंद करते हैं,तो वो ट्विटर है।माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म में लोगों में रोचक चर्चाएँ होती हैं, जबकि लोगों के लिए कुछ विशेष कंपनियों इसे शिकायत दर्ज करने और अपनी ग्राहक सेवा टीम से सीधे जुड़ने का पोर्टल के रूप में भी प्रयोग करती है।

क्या कू ऐप ट्विटर को टक्कर दे पायेगा ?

अब ऐसा लगने लगा है कि  भारत में निर्मित कू ऐप ( माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ) बहु-अरब डॉलर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्विटर” के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के लिए कमर कस रहा है। आइये जानते हैं “कू ऐप” को।

भारत में और भारत के लिए बना माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म “कू”

“कू” माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म को भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में संपर्क के लिए डिजाईन किया गया है – कू ट्विटर के विकल्प से भी कहीं आगे की सोच रख के बनाया गया है। कू ने अपनी वेबसाइट पर कहा,“भारत का सिर्फ 10% हिस्सा अंग्रेजी बोलता है। भारत में लगभग 1 बिलियन लोग अंग्रेजी नहीं जानते हैं। इसके बजाय, वे भारत की 100 से अधिक भाषाओं में से एक बोलते हैं। वे अब स्मार्टफोन तक पहुंच बना रहे हैं और अपनी भाषा में इंटरनेट पसंद करते हैं।

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”हालांकि, इंटरनेट का अधिकांश हिस्सा अंग्रेजी में ही रहा है। कू इन भारतीयों की आवाज को सुनने का प्रयास है। अब भारतीय लोग अन्य लोगों के विचारों को सुनकर अपनी मातृभाषा में इंटरनेट पर भाग ले सकते हैं और अपने विचारों को साझा करके अपने मन की बात भी कह सकते हैं,तथा कू के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं। “

भारत के आत्मनिर्भर भारत ऐप चैलेंज के विजेता

“कू” एक ट्विटर-क्लोन ऐप है जो कि भारत के आत्मनिर्भर भारत ऐप चैलेंज का विजेता (दूसरा स्थान) भी रहा है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मन की बात कार्यक्रम में माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म “कू” के प्रयासों की सराहना भी की थी। पहला स्थान भारत के टिक्कॉक क्लोन, “चिंगारी” को दिया  गया था।

क्या आवश्यकता है भारत में “कू ऐप” जैसे मंच की ?

लगभग हर देश के राष्ट्रवादी लोगों का विचार है कि ट्विटर उनकी आवाज को दबाता है और समय समय पर उनके अकाउंट को ससपेंड कर देता है।यह भी आरोप लगता है कि ट्विटर वामपंथी विचारधारा को बढ़ावा देता है और राष्ट्रवादी विचारधारा को कुचलने का प्रयास करता है। ट्विटर के CEO ने यह बात सार्वजानिक मंच पर कही भी है, इसलिए इस कथन को और भी आधार मिलता है।Why Koo App is getting popular in India!

हाल ही में अमरीकी चुनाव में ट्विटर ने वहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का अकाउंट बंद कर के वहाँ के चुनाव को बहुत हद तक प्रभावित भी किया है। इसलिए देश को एक स्वदेशी माइक्रो ब्लॉग्गिंग ऐप की बहुत आवश्यकता है जो कि भारत के क़ानून के मुताबिक़ काम करे, न की मनमाने तरीके से।     

“कू” ऐप किसने बनाया है?

कू ऐप को अप्रमेय राधाकृष्ण (जिन्होंने टैक्सी फॉर श्योर की सह-स्थापना की है) और मयंक बिदावक्त (जिन्होंने रेडबस, द मीडिया एंट और गुडबॉक्स की सह-स्थापना की है) द्वारा विकसित किया गया है। ऐप को पिछले साल (2020) Google Play Store पर देश के सर्वश्रेष्ठ दैनिक आवश्यक ऐप के रूप में पहले ही वोट दिया जा चुका है।

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कू ऐप पर भारत सरकार के मंत्रालय भी सक्रीय हैं

अब,कू ऐप सरकार के मंत्रालयों और विभागों को प्लेटफॉर्म पर अपने अकाउंट खोलने को भी आग्रह कर रहा है। अब तक इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, MyGov, Digital India, India Post, NIC, NIELIT, SAMEER, UMANG ऐप, कॉमन सर्विसेज सेंटर, STPI, Digilocker, CMET, CDAC और अन्य कई अन्य संस्थाएं Koo App से जुड़ चुके हैं। 

वास्तव में, रविशंकर प्रसाद, कानून और न्याय, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अगस्त 2020 से पहले से ही कू का हिस्सा रहे हैं। वे अपने कू सोशल मीडिया हैंडल पर 4 लाख से अधिक followers को आकर्षित करने में सफल रहे हैं। साथ ही 2.34 लाख फॉलोअर्स वाले यूजर बेस के साथ शिपिंग मिनिस्टर मनसुख मंडाविया भी हैं।

–SingrauliFy Team

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