धरा 370 हटाए जाने का गणित जो प्रत्येक भारतवासी को जानना चाहिए ।
भारतीय संविधान के अनुसार अनुच्छेद 370, जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था जिसमें अलग प्रशासन, अलग झंडा, उनकी विधानसभा अवधि की अवधि 6 वर्ष आदि होती थी।और अब इसे सरकार द्वारा हटा दिया गया है और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया।
अलग झंडा, उनकी विधानसभा अवधि की अवधि 6 वर्ष आदि होती थी।और अब इसे सरकार द्वारा हटा दिया गया है और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया।
धरा 370 हटाने की नींव कैसे रखी गई ?
मोदी सरकार ने महबूबा मुफ्ती की PDP से समर्थन वापस लेकर एक बहुत बड़ा जुआ खेला, जिसके परिणामस्वरूप अंततः जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हुआ |अगर कांग्रेस पीडीपी या नेशनल कॉन्फ्रेंस को यह पता होता कि मोदी जी को 2019 के आम चुनावों में इतना बड़ा जनादेश मिलेगा और वह धरा 370 को हटा देंगे तो वे सभी एक साथ आते और जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाते,इससे जम्मू-कश्मीर में कभी भी राज्यपाल शासन लगाया जाना संभव न हो पाता।
370 को हटाने के लिए एक शर्त थी कि राज्य सरकार को 370 को हटाने के लिए राष्ट्रपति से अनुरोध करना होगा। पीडीपी, आईएनसी या एनएसी 370 को हटाने के लिए कभी भी विधेयक पारित नहीं होने देते। इस नियम के कारण महबूबा मुफ्ती और फारूख अब्दुल्ला निश्चिंत थे कि अनुच्छेद 370 को कभी हटाया नहीं जा सकता।
भाजपा-पीडीपी गठबंधन को बहुत से लोग पसंद नहीं करते थे, लेकिन इसका लाभ यह था कि भाजपा के साथ जाने के कारण, पीडीपी राष्ट्रिय कांफ्रेंस और कांग्रेस के लिए अछूत हो गई थी, इसलिए कांग्रेस और राष्ट्रिय कांफ्रेंस को पता था कि अगर वे पीडीपी के साथ सरकार बनाने की कोशिश करते हैं तो उनके मुस्लिम मतदाता नाराज हो जाएंगे। इसलिए राज्यपाल का शासन जम्मू-कश्मीर में लाया गया,और यह निर्णय धरा 370 को हटाने का प्रमुख आधार बना।
इस रणनीति को किसी भी पार्टी ने नहीं समझा। जिस बिंदु से हम सोचना बंद करते हैं, मोदी उस बिंदु से 5 कोस आगे सोचना शुरू कर देते हैं।
अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर सरकार की अनुमति के बिना हटाया नहीं जा सकता था, लेकिन मोदी सरकार ने फरवरी 2019 में एस.सी. एस.टी. संशोधन विधेयक को मंजूरी दी,जिसके परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर में कोई चुनी हुई सरकार नहीं होने के कारण, राज्यपाल ने निर्णय ले कर इस कानून को जम्मू कश्मीर में लागू कर दिया । विपक्ष इस पेंच को समाझ नही सका ।यह सब आरक्षण के मुखौटे के पीछे हो रहा था इसलिए किसी भी दल ने इसका विरोध नहीं किया।
जब 370 को हटाया गया तब लोगों को पता चला कि यह खेल बहुत लंबे समय से खेला जा रहा था। 370 को हटाने के 2 दिन पहले यूएपीए बिल पारित किया गया था, इसका मतलब था कि अगर कोई कुछ भी असामाजिक कार्य करने का प्रयास करेगा तो वह जेल जाएगा।
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अनुच्छेद 370 और 35ए हटना भारतीय इतिहास की बड़ी घटना और उपलब्धि।
पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 हटाकर पाक को उसकी औकात बतादी : सुरेश गिरि प्रखर नवीनतम घटना क्रम में कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटने के बाद और एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला का विवादित बयान कि चीन की मदद से धारा 370 और 35ए को फिर से बहाल कराएगे। इस घटना क्रम के बाद काफी विवाद खड़ा होगया।
बहूत सारे विवादों के बाद गृहमंत्री अमित शाह का बयान और साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री श्री कर्ण सिंह जी का बयान बहुत ही महत्वपूर्ण है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जीने धारा 370 और 35ए हटा कर के पाकिस्तान को उसकी औकात और सही जगह दिखा दी, प्रधानमंत्री ने बता दिया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। शाह ने कहा, देशहित में ऐसा करने से न जाने क्यों कांग्रेस के पेट में दर्द होता है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 और 35A को रद्द करके पाकिस्तान को उसकी जगह दिखा दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बता दिया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन देशहित में ऐसा करने से न जाने क्यों कांग्रेस के पेट में दर्द होता है? जोहार में जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत करते अमत शाह ने कहा, ‘मोदी जी ने अनुच्छेद 370 हटाकर कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाया तो विपक्षियों को परेशानी होने लगी। कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने संसद में इसके विरोध में वोट किया। राहुल गांधी स्पष्ट करें कि वे 370 हटाने के पक्ष में हैं या विरोध में?’ उन्होंने कहा, ‘जब हमने सर्जिकल स्ट्राइक की तो राहुल गांधी विरोध करते हैं, एयर स्ट्राइक करते हैं तो प्रमाण मांगते हैं। जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगते हैं, तो वो उनके साथ जाकर खड़े हो जाते हैं, अब तय कर लो और देश की जनता को बताओं की आप किस दिशा में जाना चाहते हो।’
उल्लेखनीय है कि राज्य सभा के सदन में “आम आदमी पार्टी ” अन्नुछेद 370 हटाने में राष्ट्रिय जनतांत्रिक गठबंधन का सहयोग किया था ।
शाह ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए भी, उनकी पार्टी के नेताओं ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बांग्लादेश लिबरेशन वॉर जीतने के बाद इंदिरा गांधी का समर्थन किया। जब केन्द्र में नरसिंह राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी तो उनके अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष रखने के लिए विपक्ष में होने के बावजूद अटलजी ने उनका समर्थन किया’।
क्या कहा पूर्व मुख्यमंत्री कर्ण सिंह ने ।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह (Karan Singh) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में चीन की मदद से अनुच्छेद-370 को बहाल किए जाने संबंधी पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के कथित बयान की कड़ी निंदा की। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सद्र-ए-रियासत सिंह ने फारूक अब्दुल्ला के उक्त बयान को पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से केंद्रशासित प्रदेश की जनता में वास्तविकता से दूर उम्मीदें पैदा होंगी जो देश के हित में नहीं है।
कर्ण सिंह (Karan Singh) ने एक बयान में कहा कि मेरे पुराने मित्र फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने यह हैरान करने वाला बयान दिया है कि चीन की मदद से अनुच्छेद-370 की बहाली होगी। मैं उनके एक साल तक हिरासत में रहने और हाल के कई घटनाओं से उनके गुस्से और हताशा को समझ सकता हूं लेकिन नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) के नेता के इस बयान को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह बयान तो पूरी तरह अस्वीकार्य है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि फारूक का बयान से जम्मू-कश्मीर के लोगों में वास्तविकता से दूर उम्मीदें पैदा करने को उकसाएगा।
हालाकि कर्ण सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई का स्वागत करते हुए कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी। बता दें कि फारूक के विवादित बयान को लेकर भाजपा हमलावर है। भाजपा ने पूर्व में इस बयान को लेकर कांग्रेस की चुप्पी पर भी सवाल उठाए थे। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि ऐसा नहीं है कि केवल फारूक अब्दुल्ला ऐसा कहते हैं। यदि आप राहुल गांधी के हाल-फिलहाल के बयानों को सुनें तो पाएंगे कि ये दोनों ही नेता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
वहीं अब्दुल्ला ने अपने पूर्व के बयान पर रविवार को कहा था कि जहां तक चीन का सवाल है मैंने तो कभी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को यहां बुलाया नहीं। वहीं महबूबा मुफ्ती ने एकबार फिर जहर उगला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि पिछले साल पांच अगस्त को लिया गया केंद्र का फैसला दिनदहाड़े लूट थी। हम उसे वापस पाकर रहेंगे। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती से आज उनके पास पर नेशनल काफ्रेंस अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला ने मुलाकात की। मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम महबूबा जी से शिष्टाचार भेंट करने आए थे क्योंकि वह लंबे समय बाद रिहा हुई हैं।
– —- सुरेश गिरी “प्रखर”