नई शिक्षा नीति 2020,सरल भाषा में समझें।
आजादी के बाद यह भारत ने तीसरी बार शिक्षा नीति में बदलाव।
भारत में आजादी के बाद अब तक 3 शिक्षा नीतियां बनाई जा चुकी है। पहली शिक्षा नीति 1968 में और दूसरी 1986 में लाई गई थी। 1986 की शिक्षा नीति को 1992 में थोड़ा सा संशोधित भी किया गया था। और अब 34 साल बाद नई शिक्षा नीति 2020 को लाया गया है और इसे कैबिनेट द्वारा स्वीकृति भी मिल चुकी है। हालांकि यह शिक्षा नीति पिछले 5 साल से बन रही थी और इस पर जनता द्वारा सुझाव भी मांगे गए थे और शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि लगभग एक लाख से ज्यादा सुझाव प्राप्त भी हुए थे।
स्कूली शिक्षा में मूलभूत बदलाव किये जायेंगे।
स्कूली शिक्षा:– अभी तक जो स्कूली शिक्षा का पाठ्यक्रम होता था वह 10+2 के आधार पर था जिसमें विद्यार्थी को कक्षा 1 से लेकर 10 तक कॉमन विषय पढ़ने पड़ते थे और कक्षा 11वीं में उसे अन्य विषय या कोई खास विषय चुनने का अधिकार होता था। अब इसको 5 + 3 + 3 + 4 श्रेणी में विभाजित कर दिया गया है। अब 5 साल की प्राथमिक शिक्षा 3 साल की माध्यमिक शिक्षा 3 साल की उच्चतर माध्यमिक शिक्षा और 4 साल की उच्च शिक्षा का प्रावधान किया गया है।
अब सरकारी स्कूलों में भी नर्सरी का शिक्षा के प्रावधान।
प्रथम 5 वर्ष में पहले 2 साल नर्सरी के रूप में होंगे जिसको गांव में आंगनवाड़ी में प्रशिक्षित लोग प्रदान करेंगे। और अगले 2 वर्ष कक्षा 1 और कक्षा 2 में बिताने होंगे। यह उल्लेखनीय है कि अब नर्सरी की शिक्षा भी सरकारी स्कूलों में उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है जो कि अब तक सिर्फ निजी स्कूलों में ही प्रदान की जाती थी। यह भी सुझाव दिया गया है कि शुरू के 5 वर्ष कि शिक्षा हर विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में प्राप्त करें।
माध्यमिक शिक्षा भी दो भागों में।
अब कक्षा 3 से 5 और कक्षा 6 से 8 के आधार पर दो भागों में माध्यमिक शिक्षा का प्रावधान किया गया है। जैसे कि पहले विद्यार्थी,कक्षा ग्यारहवीं में अपने विषय का चयन करता था,उसे बदलकर अब विषय चुनने का अधिकार कक्षा 9 में ही मिल सकेगा इस नाते विद्यार्थी अब कक्षा 9 से 12वीं तक अपने पसंद के विषयों का अध्ययन कर सकेगा। पहले की भाँती कक्षा 10 और 12वीं में बोर्ड एग्जाम होते रहेंगे परंतु इन परीक्षाओं की अहमियत पहले से कम हो जाएगी और अब बोर्ड एग्जाम के अंकों के बजाय आपके विषय पर कितनी पकड़ है उसकी अहमियत रहा करेगी।
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कक्षा 10 और 12 में वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षाएं।
अब साल में दो बार बोर्ड एग्जाम होंगे और जिस भी परीक्षा में आपके अंक अच्छे हैं उसको मान्यता दी जाएगी जिस कारण विद्यार्थियों में बोर्ड एग्जाम को लेकर जो भय होता है वह भी कम हो सकेगा। एक और बात पर विशेष ध्यान दिया गया है कि,अगर विद्यार्थी किसी विषय में कमजोर है तो उसे दो विकल्प मिलेंगे जैसे कि अगर आप विज्ञान में कमजोर हैं तो आपके पास दो विकल्प रहेंगे एक “एडवांस” और दूसरा “साधारण”। विद्यार्थी खुद को अगर इस विषय में कमजोर पाता है तो वह साधारण विज्ञान की परीक्षा देकर उत्तीर्ण हो सकेगा । उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपको अपना भविष्य नृत्य या पेंटिंग में बनाना है और आप जानते हैं कि इसमें विज्ञान का कोई खास योगदान नहीं है तो आप साधारण विज्ञान को विकल्प के रूप में चुनकर अपनी आगे की पढ़ाई कर सकेंगे।
अब विद्यार्थी किसी भी विषय को चुन सकेंगे।
नई शिक्षा नीति द्वारा एक और बहुत ही महत्वपूर्ण बदलाव किया जा रहा है जिसमें अब पहले की तरह आपको कक्षा 11 और कक्षा 12 में निर्धारित विषयों का ना चुनकर अपने मनपसंद के विषयों को चुनने का अधिकार मिलेगा। आप भौतिक शास्त्र और रसायन शास्त्र के साथ इतिहास कॉमर्स या कोई अन्य विषय भी चुन सकेंगे अथवा आप गणित के साथ साहित्य या अपने किसी भी रूचि के विषय को भी चुन सकेंगे।
विद्यार्थी की अन्य प्रतिभाओं का भी मुल्यांकन।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि अब अन्य विषयों की तरह आपके अंदर की प्रतिभा को भी समान श्रेणी में रखा जाएगा यानी कि अगर आपके अंदर कला, नृत्य जैसी कोई प्रतिभा है तो उसका महत्व भी अन्य विषयों के जितना ही रहेगा और उसका मूल्यांकन आपके अंकों में प्रतिबिंबित होगा।
अब विद्यार्थी के सहपाठी भी मुल्यांकन करेंगे।
अंकों के निर्धारण में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है,अब अध्यापक तो आपको अंक देंगे ही पर आप के साथी विद्यार्थी भी आपको अंक देंगे और आप अपने साथियों का भी आकलन कर सकेंगे। एनालिटिकल स्किल (Analytical Skills), Conceptual Thinking पर भी ज्यादा जोर दिया जाएगा। भारत सरकार ने दावा किया है कि इस परिवर्तन को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 तक लागू कर दिया जाएगा और इसी दौरान शिक्षकों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। परन्तु अभी अगर आप कक्षा दस या ग्यारह में है तो आपको पुराने ढांचे के अनुसार ही परीक्षा देनी होगी। नई शिक्षा नीति को अमल में लाने के लिए सरकार को बहुत तेजी से कदम उठाने होंगे । मेरे आकलन के अनुसार अगर आप अभी कक्षा आठ में हो तब संभवत दसवीं तक पहुंचते-पहुंचते आपको इस नई शिक्षा नीति के अंतर्गत परीक्षा देने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।
पाठ्क्रम में भी इतिहासिक बदलाव होने जा रहा है।
लगता है अब विद्यार्थियों को भारत का असली इतिहास पढने को मिलेगा। इस नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा मंत्रालय पाठ्यक्रम में भी बहुत बड़ा बदलाव करने जा रहा है। नया पाठ्यक्रम 2021- 22 तक आने की संभावना है। अभी तक जीडीपी का सिर्फ 1.5% ही शिक्षा पर खर्च होता था जो कि अब बढ़ाकर 6% कर दिया गया है,जो की एक बहुत की बड़ा कदम है।
नई शिक्षा नीति की आलोचना।
इस शिक्षा नीति पर ज्यादा प्रश्न नहीं उठाया जा सकते, क्योंकि नइ शिक्षा नीति समिति की अध्यक्षता पूर्व इसरो चीफ डाo केo कस्तूरीरंगन ने की है। परंतु फिर भी इस नई शिक्षा नीति की कुछ आलोचना भी हो रही है । कुछ लोगों का कहना है शुरू के 5 साल मातृभाषा में पढ़ाई करना सही कदम नहीं है क्योंकि हो सकता है कुछ निजी स्कूल अंग्रेजी में पढ़ाई कराएं और सरकारी स्कूल मातृभाषा में कराएं तो आगे चलकर दोनों स्कूल के विद्यार्थियों में मूलभूत फर्क आ सकता है।
यह भी आलोचना की जा रही है कि अगर किसी अभिभावक का स्थानांतरण किसी और प्रदेश में हो जाता है तब उसके बच्चों की शिक्षा बाधित हो सकती है क्योंकि नए प्रदेश में नई भाषा में शिक्षा लेनी होगी। एक और आलोचना है, जिसके अनुसार यह कहा जा रहा है की शुरू की शिक्षा आंगनवाड़ी के भरोसे छोड़कर सरकार ने शिक्षा के साथ खिलवाड़ किया है क्योंकि आंगनवाड़ी मैं कार्यरत लोग प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं और ना ही उनके पास मूलभूत सुविधाएं हैं परंतु सरकार का कहना है कि आगामी कुछ वर्षों में जल्द ही आंगनवाड़ी के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा और सभी आंगनवाड़ी केंद्र में मूलभूत सुविधाएं प्रदान कर दी जाएंगी। मेरा मानना है कि अगर यह शिक्षा नीति अमल में आ गई तो भारत के भविष्य के लिए एक बहुत ही सराहनीय और ऐतिहासिक कदम माना जाएगा।
—- SFy