भारत विरोधी बीबीसी?

प्रसार भारती की तरह बीबीसी लंदन भी एक सरकारी न्यूज़ संस्था है जो कि ब्रिटेन की जनता के टैक्स के पैसे से संचालित होती है। मैं जब छोटा था तो मेरे पिताजी रेडियो पर बीबीसी लंदन की खबरें बहुत ही रुचि से सुनते हुए कहा करते थे, दुनिया कि और भारत के निष्पक्ष समाचारों  जानना है तो बीबीसी लंदन ही सुना करो। मैंने भी अपने पिता से सीख लेकर बीबीसी की खबरें सुनने और पढ़ने में रुचि दिखाई।

कैसे बीबीसी हिंदी ने धीरे धीरे अपनी साख खो दी?

एक जमाने में सच्ची और निष्पक्ष खबरें दिखाने के लिए मशहूर बीबीसी लंदन,अब अपनी राह भटक चुका है। अब बीबीसी हिंदी का भी नाम विवादित उन चैनलों की श्रेणी में आ गया है जैसे द वायर द प्रिंट द स्क्रॉल इत्यादि जो कि एक खास विचारधारा के साथ ज्यादातर समाचार देश को बदनाम करने के लिए दिखाते हैं। इन चैनलों के रूप में  इस्लाम को तो मानो एक नया खलीफा ही मिल गया हो।

क्यों शंका होती है बीबीसी हिंदी की मंशा पर?

बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार लार्ड इंद्रजीत सिंह।

बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार रह चुके लार्ड इंद्रजीत सिंह ने जब अपना 35 साल पुराना रिश्ता बीबीसी से थोड़ा तब मेरे मन में बहुत जिज्ञासा हुई और मैंने इसके रहस्य को समझने का प्रयास किया। लॉर्ड इंदरजीत सिंह बीबीसी रेडियो पर “थॉट फॉर द डे” नामक एक कार्यक्रम किया करते थे। एक दिन उन्होंने हमारे सिख गुरु,गुरु तेग बहादुर पर कार्यक्रम करने का निश्चय किया कि कैसे 17 वीं शताब्दी में महान गुरु तेग बहादुर ने मुगलों द्वारा हिंदुओं को जबरन मुसलमान बनाए जाने पर संघर्ष और युद्ध किया था,और कैसे गुरु तेग बहादुर के संयम और धैर्य से तंग आकर औरंगजेब ने चांदनी चौक नई दिल्ली में उनके सिर को धड़ से भरे चौराहे में अलग करवा दिया था।

कार्यक्रम शुरू ही होने वाला था कि बीबीसी की मॉनिटरिंग टीम ने लार्ड इंदरजीत सिंह को कार्यक्रम करने से रोक दिया,क्योंकि बीबीसी को मुस्लिमों को नाराज नहीं करना था। इस घटना के बाद लोड इंद्रजीत सिंह ने बीबीसी छोड़ दिया और मीडिया को बताया कि अगर गुरु नानक देव या ईसा मसीह जिंदा होते तो थॉट् फॉर द डे में उनके लिए भी कार्यक्रम करने नहीं दिया जाता क्योंकि अब बीबीसी का मकसद पूरी तरह बदल चुका है।

भारत विरोधी बीबीसी?

क्या बीबीसी हिंदी भारत या हिन्दुओं के खिलाफ है ?

भारत की खबरें दिखाने समय भी बीबीसी का चरित्र बिल्कुल ही बदल जाता है। हाल ही में हुए दिल्ली दंगों की खबरें दिखाते समय बीबीसी की पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार होती थी -“अम्मी की दवाई लेकर लौटते यासीन को दंगाइयों ने मार डाला”,”मदरसे से लौटती शमीमा को हिन्दू कट्टरपंथियों ने… इत्यादि इत्यादि” । यानी ब्रिटिश सरकार की ये न्यूज़ एजेंसी भारत और हिन्दू विरोधी एजेंडा और फेक न्यूज़ की एक बड़ी फैक्ट्री बनकर उभरता जा रहा है।मै किसी भी हिंसा का समर्थन नहीं करता परन्तु पत्रकारिता में निष्पक्ष रहना चाहिए।

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भारत विरोधी बीबीसी?

कैसे बीबीसी हिंदी अपना एजेंडा तय करता है ?

जब लाखों लोगों का हत्यारा बगदादी मारा जाता है तब बीबीसी उसे “मुस्लिम धर्मगुरु” बताता  है और जब भारत में अल्प ज्ञानी कुछ ज्ञान बांटने वाला कह देता है तो उसे बीबीसी “हिंदू कट्टरपंथी” कहकर संबोधित करता है। इन्हीं हरकतों के कारण भारत में शोर्टवेव रडियो पर प्रसारित होने वाली हिंदी बीबीसी सेवा 31 जनवरी को भारत सरकार द्वारा बंद कर दी गई थी। लेकिन बीबीसी यूट्यूब फेसबुक और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म्स के अंतर्गत अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगा ही हुआ है।

भारत विरोधी बीबीसी?

बीबीसी हिंदी में कितनी अभिव्यक्ति की आजादी है।

कुछ दिन पहले बीबीसी ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला, जिसका शीर्षक था “भारत योग गुरु नहीं जबकि योन गुरु है” आमतौर पर पत्रकारिता के आजादी के पैरोकार बनने वाले बीबीसी,में पत्रकारिता की कितनी आजादी है इसे इसी से समझा जा सकता है कि कोई भी पत्रकार बिना “मॉनिटरिंग टीम” से अनुमोदन लेकर खबर नहीं छाप सकता ।और इनकी मॉनिटरिंग टीम में , जुबेर अहमद, रेहान फजल, मोहम्मद जुबेर खान, फ़ैसल मोहम्मद ,समेत कई लोग हैं जिनके आर्टिकल भी बीबीसी वेबसाइट पर अक्सर ही छपते रहते हैं।

धारा 370 हटने पर क्या प्रतिक्रिया रही बीबीसी हिंदी की।

अपनी लच्छेदार हिंदी के साथ बीबीसी भारत को बदनाम करने में कोई मौका नहीं छोड़ता। धारा 370 को खत्म हुए एक साल होने को आया है परंतु अभी भी बीबीसी हिंदी कश्मीर को “भारत प्रसाशित” क्षेत्र ही बताता है। इतना ही नहीं,भारत के उत्तर पूर्वी इलाकों और अरुणाचल प्रदेश के बारे में भी बीबीसी झूठी खबरें और अलगाववादी खबरों को प्रचारित करता रहता है।

जब बीबीसी हिंदी को लज्जित होना पड़ा।

करोना संक्रमण से जब इंग्लैंड में तबाही मची हुई थी तो बीबीसी लंदन सिर्फ भारत की खिल्ली उड़ाने में ही लगा था और इंग्लैंड की सारी खबरों को दबाए हुए था। और तो और जब भारत ने  मानवीय आधार पर पूरे विश्व में हाइड्रोक्क्सी क्लोरोक्वीन देने की बात कही तो बीबीसी ने अफवाह फैला दी इसकी कमी जब भारत में ही इतनी है तो किस आधार पर भारत इसका निर्यात अन्य देशों को करने का सोच रहा है।भारत विरोधी बीबीसी?

 

 

यह सारी खबरें बीबीसी हिंदी में पत्रकारिता की स्वतंत्रता की आड़ में ही चलती हैं। जब इन खबरों को किसी ने महत्त्व नहीं दिया तो बीबीसी ने  कुछ लोगों को बिठा कर हाइड्रोक्क्सी क्लोरोक्वीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को चर्चा में लाने का प्रयास किया ताकि चीन की दवाइयां दुनिया में प्रचलित की जा सके। इनकी दुकान तो तब बंद हुई जब एक दिन ब्रिटेन सरकार ने भी भारत से गुहार लगाई कि उन्हें हाइड्रोक्क्सी क्लोरोक्वीन की आवश्यकता है।

क्या बीबीसी हिंदी चीन की कठपुतली बन गया है?

आप यह भी देखेंगे कि बीबीसी पर चीन की दमनकारी नीति और सरकार के ऊपर कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं होती इसलिए यह कहा जा सकता है कि विश्व भर में चीन का प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए बीबीसी चीन के हाथों की कठपुतली बना हुआ है। बीबीसी की हिंदी सेवा में पूरा दबदबा वामपंथियों और इस्लामिक कट्टरपंथियों का है जो अभिव्यक्ति की आजादी के तहत अपना प्रोपेगेंडा फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। बीबीसी के इन्हीं हरकतों के कारण कुछ दिनों पहले प्रसार भारती के ज्यादातर कर्मचारियों ने बीबीसी के इस रवैया के ऊपर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

धारा 370 हटने के बाद बीबीसी ने एक तरफा रिपोर्टिंग की और कई वीडियो क्लिपिंग बढ़ा चढ़ाकर पाकिस्तान तक पहुंचाइ। कुछ वामपंथी भारतीय पत्रकारों के सानिध्य में बीबीसी द्वारा बताई जाने वाली खबरें विदेश तक पहुंचाई जाती हैं जो कि वाशिंगटन पोस्ट न्यूयार्क  टाइम अल जजीरा इत्यादि में भी प्रकाशित होती हैं और भारत को बदनाम करने सहयोग करती  हैं।

भारत सरकार को भी कई बार दखल देना पड़ा।

कई बार तो बीबीसी की फर्जी खबरों के खंडन के लिए भारतीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता को भी प्रेस विज्ञप्ति देनी पड़ी है। मैंने हमेशा ही बहुत गहराई से बीबीसी की खबरों का अध्यन किया है और यह पाया है कि बहुत ही चतुराई से बीबीसी लंदन भारत विरोधी खबरों को परोसता है, जिससे जानकारी के अभाव में बहुत से पाठक उनके झांसे में आ जाते हैं और अपने ही देश के सुरक्षाकर्मियों और सरकारों पर शंका कर के विदेशी शक्तियों का मनोबल बढ़ाते हैं। हालांकि शुरू से ही यह अपने एजेंडा पर कायम रहे हैं परंतु आजकल सोशल मीडिया के दौर में यह पूरी तरह एक्स्पोसे होते जा रहे हैं। और हम सब देशवासियों को मिलकर इनका नकाब पूरी तरह उतार देना चाहिए ताकि ये अपने मंसूबों में असफल हों और हमारा प्यारा भारत एक साथ मिल कर विश्व गुरु बन के उभरे।

— Sfy

 

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