प्रधानमंत्री ने किया रीवा के गुढ में एशिया के सबसे विशाल सौर्य उर्जा संयंत्र का उद्घाटन  ।

10 जुलाई 2020 को भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने एशिया के सबसे विशाल सौर्य  ऊर्जा  संयंत्र  का उद्घाटन कर के रीवा जिले को विश्व के मानचित्र पर स्थापित कर दिया। सौर्य ऊर्जा संयंत्र की आधारशिला तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने दिसंबर 2017 में रखी थी ।

रीवा में निर्मित यह सौर ऊर्जा संयंत्र 750 मेगा वाट का वार्षिक उत्पादन करेगा व इसके निर्माण में कुल लागत रूपए 4500 करोड़ लगी है । मध्य प्रदेश का रीवा जिला अभी तक अपने सफेद बाघ मोहन के कारण और सुंदर जलप्रपातों कारण प्रसिद्ध रहा है । अब मध्य प्रदेश के पूर्वी छोर पर स्थित रीवा संपूर्ण विश्व में जाना जाएगा।

रीवा में सौर्य उर्जा संयंत्र

किन  कम्पनियों की है भागीदारी ?

ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए अलग से एक कंपनी की स्थापना की गई जिसका नाम रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड है । यह कंपनी एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी है जिसमें सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम सम्मिलित है ।

दोनों ही कंपनियों के पास इस ऊर्जा कंपनी में 50 -50 प्रतिशत की दावेदारी है। इससे परियोजना में केंद्र और राज्य सरकार का सहयोग व सहभागिता साफ साफ देखी जा सकती है।

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रीवा के सौर्य उर्जा संयंत्र निर्माण में कितनी भूमि का उपयोग किया गया ?

सौर्य उर्जा संयंत्र जहाँ लगता है वह एक तरह का पार्क होता है,और रीवा में स्थित परियोजना का निर्माण 1500 हेक्टेयर भूमि पर हुआ है.। इसलिए तीनों ही कंपनी को 500-500 हेक्टेयर भूमि में निर्माण करना था व इन तीनों को 250-250 मेगा वाट बिजली का उत्पादन करना है।

मध्यप्रदेश के रीवा को आज दुनिया भर में एक नइ पहचान मिली है ।मेगा सोलर पॉवर प्रोजेक्ट का लोकार्पण कर प्रoमo जी ने एक बड़ी सौगात दी है ।-Dr.Narottam Mishra, HM, MP

यह भी दावा किया गया है कि इस सौर्य ऊर्जा संयंत्र से कार्बन उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 15 लाख टन की कमी आएगी.। भारत की यह पहली परियोजना है जिसमें विश्व बैंक के द्वारा स्थापित क्लीन टेक्नोलॉजी फंड द्वारा सहयोग दिया गया है.।

विश्व बैंक द्वारा विकासशील देशों को क्लीन एनर्जी में प्रोत्साहित करने के लिए यह फंडिंग की जाती है।

रीवा में सौर्य संयंत्र
रीवा में सौर्य संयंत्र

रीवा के इस उर्जा पार्क ने ग्रिड पैरिटी बैरियर को तोड़ा है।

यह परियोजना भारत की पहली ऐसी परियोजना है जिसने ग्रिड पैरिटी बैरियर को तोड़ा है। अभी तक क्या होता था कि अन्य ऊर्जा उत्पादन के संयंत्र जैसे तापीय उर्जा इत्यादि की लागत विद्युत के ट्रांसमिशन में सौर्य ऊर्जा से कम होती थी परंतु इस संयंत्र ने यह सिद्ध किया की ईसके द्वारा किया जाने वाला  ट्रांसमिशन तापीय ऊर्जा और हाइड्रो पावर स्टेशन से भी कम है।

इससे पहले सौर्य उर्जा की कीमत 4.5 रुपए प्रति यूनिट होती थी परंतु रीवा स्थित इस संयंत्र की प्रति यूनिट कीमत 2.97 रूपए प्रति यूनिट पड़ेगी.। और यह भी दावा किया जा रहा है कि अगले 15 साल तक इस के द्वारा केवल 0.5 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की जाएगी जो कि अकल्पनीय प्रतीत होता है।

— SingrauliFy

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