Why There is No Library in Singrauli? / सिंगरौली जिले में पुस्तकालय क्यों नहीं?
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Do you know that there is only one library for every 17 lakh people in Madhya Pradesh. And there is not even a single Govt sponsored Public Library in Singrauli region? If the libraries of some schools are left out, then there are only a few libraries in singrauli which are run by some private institutions and the books available in it are also subject centric.There are only 42 Public Libraries in Madhya Pradesh.
क्या आपको पता है की मध्यप्रदेश में प्रत्येक 17 लाख लोगों के बीच सिर्फ एक पुस्तकालय है । मध्य प्रदेश के द्वारा पुस्तकालय के प्रति इस उदासीनता से सिंगरौली क्षेत्र भी अछूता नहीं है।इतने विशाल राज्य में कुल सिर्फ 42 सार्वजनिक पुस्तकालय हैं।अगर कुछ विद्यालयों के पुस्तकालयों को छोड़ दिया जाए तो,सिंगरौली में सिर्फ इक्का-दुक्का ही पुस्तकालय हैं जिन्हें कुछ निजी संस्थाएं चलाती है व उसमें उपलब्ध पुस्तकें भी कुछ विशेष विषयों पर ही उपलब्ध हैं। रीवा,सतना,बुरहानपुर,अनूपपुर,शहडोल इत्यादि जैसे छोटे शहरों में भी पुस्तकालय की सुविधा वहां के निवासियों के लिए उपलब्ध है।
Singrauli desperately need Library,Colleges & Hospitals
परंतु सिंगरौली जिले में इसकी ओर किसी का ध्यान अभी नहीं गया है।मई 2008 में,जब से सिंगरौली को जिले का दर्जा मिला है,तभी से ये जिला मूल भूत सरकारी संस्थाओं के लिए राह देख रहा है।न ही कोई महाविद्यालय नया खुला है और न ही कोई अस्पताल ही खुला है।जबकि पिछले 10 सालों में यहाँ की जनसँख्या में अबूत्पूर्व वृधि हुई है।ऐसा नहीं है कि केवल प्रशासन ने ही उदासीनता दिखाई है, यहां पर स्थित बड़े औद्योगिक इकाइयों ने, बल्कि यहां पर कार्यरत कई एनजीओ ने भी इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया है।
Why Library is so important for Singrauli? / सिंगरौली में पुस्तकालय क्यों आवश्यक है?
हमने बचपन से सुना है की किताबें किसी भी इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती है। किसी भी दुख की घड़ी में जब कोई साथ नहीं होता तो किताबे ही व्यक्ति को सहारा देती हैं।जब से मोबाइल इंटरनेट इत्यादि का प्रभाव समाज पर पड़ा है तब से आज की युवा पीढ़ी किताबों से दूर होती जा रही है। बच्चों के अभिभावक भी अब इस ओर उतना ध्यान नहीं देते। ऊपर से स्कूल के पाठ्यक्रम भी इतने विशाल हो गए हैं कि एक साधारण बच्चे को किताबों के लिए समय निकालने का अवसर ही नहीं मिलता। वह बेचारा अपने स्कूल के होमवर्क में ही लगा रहता है।
Books help in Character Building / पुस्तकें चरित्र निर्माण करती हैं।
परंतु यह समझना चाहिए कि स्कूल की शिक्षा जीवन यापन के लिए अत्यंत आवश्यक है और स्कूली शिक्षा समाज में एक स्थान प्रदान करने में उपयोगी है परंतु स्कूली किताबों से भी भिन्न जो पुस्तकें होती हैं वह व्यक्तित्व निर्माण के लिए बहुत ही आवश्यक हैं।इसलिए मैं दिल से यह इच्छा प्रकट करना चाहता हूं कि सिंगरौली जिले में एक भव्य पुस्तकालय का निर्माण हो जिसमें यहां के स्थानीय लोग भी अपना सहयोग दें ताकि यहां की युवा पीढ़ी उसमें अपना समय बिता के ज्ञान के सागर में गोते लगाए। जहां तक अखबारों का सवाल है, स्थानीय तौर पर सिर्फ एक या दो ही अखबार हैं जो प्रचलन में हैं,जैसे दैनिक भास्कर और पत्रिका। जबकि एक पुस्तकालय में कई प्रकाशन के अखबार एक साथ उपलब्ध होते हैं जिससे पाठक देश विदेश की सारी खबरों को अलग-अलग पत्रकार के माध्यम से तथ्यात्मक रूप से समझ सकता है।
Without Library in Singrauli,research work is difficult:-
यहां के उपलब्ध अखबारों में भी सिर्फ दैनिक खबरें आती हैं और कोई शोध कार्य कम ही देखने को मिलता है जिसके कारण यहां के लोगों की भी पठान पठन के प्रति रुचि कम होती जा रही है जो कि एक चिंता जनक विषय है। आज के आधुनिक युग में पुस्तक प्राप्त करना भी कोई कठिन कार्य कार्य नहीं है ।
Online portals easily delivers products in Singrauli Area.
अब Amazon,Flipkart,Gooreads जैसे कई Online Portal हैं जिनसे आप ऑनलाइन व्यवस्था द्वारा किताबें मंगवा सकते हैं। स्थानीय प्रशासन एवं प्रभावशाली लोगों को प्रयास करना चाहिए कि कम से कम Waidhan में एक भव्य पुस्तकालय का निर्माण किया जाए जिसमें यहां के जनसाधारण का भी सहयोगी लिया जा सके। और भविष्य में पुस्तकालय को मध्य प्रदेश लाइब्रेरी एसोसिएशन (Madhya Pradesh Library Association) तथा All Indian लाइब्रेरी एसोसिएशन के साथ अनुबंधित किया जाए और उनकी प्रेरणा व निर्देशन से इस पुस्तकालय को एक राष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्राप्त हो सके। इससे स्थानीय स्तर पर एक या दो लाइब्रेरियन (Librarian) को भी रोजगार मिलने की पूरी संभावना रहेगी और लोगों के स्वभाव में स्वत: ही पुस्तकों के प्रति आदर व प्रेम जग सकेगा।
—– SingrauliFy