सिंगरौली और कलचुरी वंश का इतिहास ।

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सिंगरौली और कलचुरी वंश का इतिहास

सिंगरौली क्षेत्र जो कि विद्युत और कोयला उत्पादन के कारण ऊर्जाधानी के नाम से विश्व प्रख्यात है तो फिर यहाँ कलचुरी वंश का उल्लेख क्यों ?बहुत कम लोगों के पास सिंगरौली के इतिहास की जानकारी है और यही कारण है कि सिंगरौली की ऐतिहासिक विरासत कहीं खो गयी है |हाल ही में भारतीय पुरातात्विक विभाग ने छठवीं शताब्दी की स्वास्तिक आकार में बनी एक मूर्ति एवं कुछ अन्य प्रतिमाएं सिंगरौली के घने जंगलों में से खुदाई के दौरान ढूंढ निकाली हैं जिसका सम्बन्ध छठवीं शताब्दी के दौरान यहाँ पर शासन कर रहे कलचुरी वंश से है | सरई के जंगलों में खुदाई के दौरान कलचुरी वंश के द्वारा निर्मित मंदिरों में दुर्लभ भगवान विष्णु की भी मूर्ति मिली।इन सब धरोहरों के मिलने से उत्साहित भारतीय पुरातात्विक विभाग ने इस क्षेत्र को “उत्तर भारत के मंदिर सर्वेक्षण परियोजना” कार्यक्रम के अंतर्गत जोड़ दिया गया और खुदाई की प्रक्रिया जारी रखी | खुदाई के दौरान वहां पर कलचुरी वंश के शासनकाल के 1300 वर्ष पुराने स्तूप भी मिले हैं। इन स्तूपों का इस स्थान पे बनाये जाने का कारण अभी शोध का विषय है | उल्लेखनीय है कि यह वही काल है जब आदि गुरु शंकराचार्य हिंदू धर्म के उत्थान के लिए प्रचार प्रसार और शैव पंथ की स्थापना के लिए पुरे भारतवर्ष का भ्रमण कर रहे थे | खुदाई के दौरान कुछ ऐसी मूर्तियाँ भी पाई गई जो कि भारतीय मूल की नहीं लगती, जिसमे और अधिक शोध करने की जरूरत है |

सरई के निकट बौद्ध दंड नामक स्थल जो कि घने जंगलों में उपस्थित है, आजकल इतिहासकारों के लिए रुचि का स्थल बना हुआ है । पुरातात्विक विभाग के लोगों का यह भी मानना है कि इस स्थान को अवैध रूप से खजाने की तलाश करने वालों ने क्षतिग्रस्त भी किया है।

चूँकि सिंगरौली क्षेत्र के लोग मुख्यतः दूसरी जगहों से आकर बसे हैं, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते। सिंगरौली क्षेत्र के  ऐतिहासिक विरासत  के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिक शोध किये बिना इस पुरातात्विक सर्वेक्षण की खुदाई का कार्य बंद कर दिया गया ।

Lord Vishnu idol found in singrauli

सिंगरौली के ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण

The ASI team, under Dr Madhulika Samanta, went into the jungles of Singrauli’s eastern Sarai Range to study two Kalachuri Dynasty temples discovered by Prof AK Singh of Rewa University in 2000.

 

जिस प्रकार सिंगरौली क्षेत्र में कोयला खनन एवं ऊर्जा उत्पादन का कार्य देश को ऊर्जा प्रदान करने के लिए हो रहा है वह बहुत सराहनीय है। परंतु विकास के इस दौर में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इस विकास की दौड़ में कितने ही ऐसे दुर्लभ ऐतिहासिक स्थल विकास की बलि चढ़ गए ।

स्थानीय प्रशासन एवं लोगों को हर संभव प्रयास करना चाहिए कि भारतीय पुरातात्विक विभाग ऐसे प्राचीन व ऐतिहासिक स्थल का शोध पुनः प्रारंभ  करें ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस इतिहास को जान सकें और गौरव महसूस करें। 

 

 

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